राजस्थान अपनी कला व संस्कृति लोक संगीत व नृत्य,अजेय दुर्ग भव्य प्रसादो ,
रंगीन उत्सव व मेलों के लिए भारत में ही नही विदेशी में भी प्रसिद्ध है | आज राजस्थान में विदेशो से भारी मात्रा में पर्यटक यहाँ की विशेषता को देखने आते है |
मरू महोत्सव जैसलमेर ; होली से एक महिना पूर्व पूर्णिमा को जैसलमेर में राजस्थान पर्यटन विकास निगम दवारा इस महोत्सव का चार दिन तक आयोजन बहुत बड़े पैमाने पर किया जाता है | सीमा सुरक्षा बल के जवानो का सजे धजे ऊँटो का काफिला , ऊंट गाडियों पर सजी झाँकियो में वाद्ययंत्रो के साथ कलाकारों के दल चटकीले रंगीनी वेशभूषा में नृत्य करती महिलाओ वह पुरषों की टोलिया को देखकर पर्यटक ख़ुशी से झूम उठते है |
बादशाहों का मेला ब्यावर ; अजमेर तथा ब्यावर में बादशाह की सवारी निकली जाती है , जिसमे देखने दूर दूर से
लोग आते है | बादशाह के आगे बीरबल नृत्य करते हुए निकलता है तथा बादशाह को ट्रक में बिठाकर नगर के प्रमुख बाजारों में निकालते है | सडको के दोनों तरफ बैठे हुए नर नारियो पर बादशाह गुलाल की पूड़ियो फेकता हुआ गुजरता है | जिसे सडके गुलाल से रंग जाती है | रात्रि में चंग , ढोलक बजाते हुए गायको की टोलियां होली के मधुर गीत गाती है| यह क्रम लगभग १५ दिन तक चलता है |
श्री श्याम बाबा का मेला ; रिंग्स रेलवे स्टेशन से 98 किलोमीटर की दुरी पर खाटू श्याम बाबा का मेला फाल्गुन शुल्क द्वादशी से पूर्णिमा तक प्रतिवर्ष बड़े उत्साह व उलास के साथ आयोजित किया जाता है | दूर दूर से भक्तगण आते है | श्याम बाबा का यहाँ विशाल मंदिर है तथा यात्रियों के निवास के लिए अनेक धर्मशालाए है जहा सभी सुविधाए उपलब्ध है |
शीतला माता माँ मेला ; चैत्र कृष्णा सप्तमी को शीतला माता की पूजा प्रत्येक गाँव शहर में की जाती है | शीतला माता चेचक ,बोदरी, उचपडा महामारियो से रक्षा करती है , ऐसी मान्यता है चाकसू , अजमेर , जयपुर , पाली , आदि स्थानों का यह मेला प्रसिद्ध है | बाड़मेर जिले में बालोतरा ग्राम से 18 किलोमीटर गावं में भी शीतला माता मेला आयोजित होता है |
केलादेवी का मेला ; सवाई माधोपुर ज़िले के करोली ग्राम से 19 किलोमीटर पर कालीसिंध नदी के किनारे त्रिकुट पर्वत पर केलादेवी का मंदिर स्थित है | स्वेत संगमरमर से निर्मित केलादेवी की भव्य मूर्ति अपनी अनूठी वास्तुकला के कारण प्रसिद्ध है |
गणगौर का मेला -
[caption id="attachment_788" align="aligncenter" width="640"]

photo source- http://cdn.indiamarks.com[/caption]
गणगौर को मेला शिव व पार्वती का स्वरूप मानकर कुंवारी लडकिया व सुहागन महिलायें सुन्दर वर व अपने अखंड सौभाग्य के लिए उनकी पूजा , अर्चना करती है | चैत्र सुदी तीज को गणगौर की सवारी व मेले का आयोजन होता है | जयपुर , अजमेर , जोधपुर आदि स्थानों का मेला प्रसिद्ध है|
श्री महावीर जी का मेला - बम्बई दिल्ली रेल मार्ग पर महावीर जी रेलवे स्टेशन है वहां पर भगवान श्री महावीर जी का विशाल मंदिर है | इस मेला का मुख्य आकर्षक भगवान महावीर जी की रथ यात्रा है | जो वैशाख की कृष्ण प्रतिपदा को निकाली जाती है | रथ के आगे घोड़ो पर अनेक तरह की धवजवाहक , पालकी , इंद्र का एरावत बैंड बजे तथा धर्मचक्र आदि होते है |
मेंहदीपुर बालाजी का मेला - जयपुर से 65 किलोमीटर दूर हिंडोन के पास मेहेंदिपुर ग्राम में बालाजी की चमत्कारी प्रतिमा है | चैत्र सुदी पुनम को मेहेदिपुर तथा चुरू जिले के अंतर्गत सालासर में बालाजी ला भव्य मेला जगता है | यहाँ भक्तगण दूर दूर से आकर श्रदापूर्वक बालाजी की पूजा कर फल प्राप्त पाते है |
तीज का मेला -[caption id="attachment_787" align="aligncenter" width="480"]

photo source http://www.manahotels.in/[/caption]
राजस्थान की सभी रियासते में तीज की सवारी निकाली जाती है | अभी भी जयपुर तथा बूंदी का तीज का मेला प्रसिद्ध है | श्रवाण शुक्ला तीज को यह मेला राजस्थान के कई नगरो में लगता है |
नारायणी देवी का मेला ‘ प्रतिवर्ष झुंझुनू में भादवा की अमावस को नारायणी देवी का मेला आयोजन होता है | भारत के सभी भागो से भक्तगण मा राणी सती का आर्शीवाद प्राप्त करते है | माँ के चरणों में श्रीफल , माला , मेहेन्दी चुंदरी , चूड़िया आदि चढाते है |
श्री गणेशजी का मेला ; सवाई माधोपुर रेलवे स्टेशन से 17 किलोमीटर दूर पर रणथम्भौर दुर्ग स्थित श्री रणतभंवरगढ़ के गणेशजी का मेला सारे विश्व में विख्यात है | यह मेला भाद्र शुक्ल चतुर्थी से तीन दिन तक चलता है | कई श्रद्धालु , भक्तगण सवाईमाधोपुर से रणतभंवरगढ़ तक दंडवत प्रणाम करते हुए गणेश मंदिर तक जाकर अपनी मनौती करते है |
कार्तिक पूर्णिमा का मेला पुष्कर ;[caption id="attachment_800" align="aligncenter" width="640"]

photo source- https://festivalsherpa-wpengine.netdna-ssl.com[/caption]
प्रतिवर्ष यहाँ कार्तिक शुक्ल एकादशी से पूर्णिमा तक मेला का आयोजन राजस्थान पर्यटक विभाग के द्वारा किय जाता है | जिसमे भारत से ही नहीं अपितु विदेशो से भी पर्यटक सम्मलित होते है | इस मेले में बैलो व ऊँटो की दोड प्रतियोगिता होती है , जो बहुत ही दर्शनीय होता है | विदेशी पर्यटक राजस्थानी परिधान पहनकर ऊँटो की सवारी का उठाते है | भारत सरकार के संगीत व नाट्य विभाग द्वारा सांस्कृतिक कार्यकर्मो का आयोजन होता है |
Comments
Post a comment